Wednesday, November 11, 2009

मेरा हंसना भारी पड़ रहा है...

याद है पिछली बार हम कब रोए थे?

कभी जिंदगी में ऐसे क्षण आते हैं, जब आप रोना चाहते हैं..बुक्का फाड़कर। लेकिन रो नहीं सकते..क्योंकि आपकी रेपुटेशन ही नहीं है, उदास दिखने की। हर गम में खुश दिखना होता है, जोकर की तरह। मेरे साथ यही मुश्किल है। लाल दंत मंजन छाप दांत दिखाने की ऐसी आदत है कि लोग-बाग ज़रा सीरियस होते ही पूछ बैठते हैं- क्या बात है, उदास हो?

हर बात पर हंसो, तो दोस्त ताना देते हैं मेरी बात पर सीरियस नहीं हो, सीरियसली नहीं ले रहे हो?? क्या किया जाए। मौलिक कैसे बना जाए?

कभी एक शेर स सुना था- बहुत संजीदगी भी चूस लेती है लहू दिल का, फकत इस वास्ते जिंदादिली से काम लेते हैं... एक और था ऐसा ही, ..... मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं वाला।

लेकिन, मजाक-मजाक में जिंदगी का आधा हिस्सा निकल लिया..। डॉक्टर भी कुछ दूसरे किस्म की सलाहें दे रहे हैं..। अपने आसपास से गजब के लोगों को जाते देख रहा हूं, मानता हूं मेरी उम्र अभी मरने की नहीं। लेकिन मरने की कोई खास उम्र भी होती है क्या?

लोगबाग धरती की गरमाहट से हवा की सनसनाहट और राजनीति से लेकर पता नही क्या-क्या डिस्कस कर ले रहे हैं। पता नहीं मुझे क्या हो रहा है..। खुद पर से भरोसा उठता जा रहा है..।

कुछ दोस्त भी साथ छोड़ रहे हैं, कुछ ने ताजिंदगी दोस्त बने रहने का वायदा किया ज़रुर है पर हमने वायदों पर से यकीन करना छोड़ दिया है। दिल में कई ऐसी बाते होती हैं, जो किसी को भी नहीं बता सकते बेहद करीबी दोस्तों को भी नहीं। कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिनपर आप सिर्फ आप खुद से बतिया सकते हैं। ऐसे ही कुछ मुद्दों से घिरा बैठा हूं.. अभिमन्यु की तरह..

ऐसा नहीं कि नौकरी का संकट या दफ्तर का तनाव है.. वहां मिल रही कामयाबियां निजी जीवन में असीम मुसीबतें खड़ी कर रही हैं। बस मन में आया तो लिख मारा।

अजीत राय ने मेसेज किया था, उनने भी ब्लॉग बना लिया है, यायावरकीडायरी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम..खोजने पर भी नहीं मिला।

1 comment:

डॉ .अनुराग said...

इससे निकलने एक सीधा साधा तरीका है ....दो चार पुराने दोस्तों को फोन करो....या .एक बढ़िया सा चाइनीज़ खाना खायो ..या टी वि डिस्कवरी चैनल देखो.....कार्टून भी एक ऑप्शन हो सकता है ...... तगडी वाली बियर की बोतल लेकर किसी कुंवारे दोस्त के घर पहुँच जायो....ओर देर रात सड़क किनारे जोर से चिल्लायो...आई लव यू ....नाम छोडे दे रहा हूं...तुम्हारी सहूलियत के लिए