Wednesday, January 9, 2008

लो मैं आ गया...


नया साल आ गया। मैं देर से सही लेकिन दिल से आप सबों को नए साल की शुभकामनाएं दे रहा हूं। नहीं..इन शुभकामनाओ में कोई गुस्ताखी नहीं.. दिल से कह रहा हूं..। वैसे गुस्ताखियां जारी रहेंगी बदस्तूर..


विपदा से हारा नहीं झेला उसे सहर्ष

तूफ़ानों को पार कर पहुँचा है नववर्ष


नभ मौसम सागर सभी करें कृपा करतार

जंग और आतंक की पड़े कभी ना मार


बागों में खिलते रहें इंद्रधनुष के रंग

घर घर में बसता रहे खुशियों का मकरंद


मन में हो संवेदना तन में नव स्फूर्ति

अपनों में सदभावना जग में सुंदर कीर्ति


उन्नति का परचम उड़े ऐसा करें विकास

संस्कार की नींव पर जमा रहे विश्वास


साल नया गुलज़ार हो–मिटें सभी के दर्द

मेहनत से हम झाड़ दें गए साल की गर्द


अभिनंदन नव वर्ष का मंगलमय हो साल

ऋद्धि सिद्धि सुख संपदा सबसे रहें निहाल


(पूर्णिमा वर्मन)

1 comment:

अजय रोहिला said...

अति उत्तम, उम्दा, बेहतरीन, दिलनशी, मनभावन.....पक्तियों से साल का स्वागत किया है....दिल से इस नव वषॆ में कामयाबी की शुभकामनाएं....