इस बार बीकानेर जाने का मौका हाथ लगा। आधे घंटे का खास कार्यक्रम बनाने के वास्ते। लौटते वक्त जयपुर में आउटलुक पढ़ रहा था। सभी चीज़ों के साथ पत्रिका ने एक बहस की शुरुआत की है।
बहुत पुरानी और घिसी हुई बहस है जनाब.. देश में संसदीय प्रजातंत्र अच्छा या, अध्यक्षीय प्रजातंत्र। बहरहाल, बहस में हिस्सा लेने के लिए जिनके इंटरव्यू लिए गए थे। उससे मुझे बहुत अजीब सा लगा। आंखों को अच्छा लगा लेकिन दिल को नहीं। टीआरपी के लिए टीवी वालों को गरियाने में अत्यंत अग्रणी रहने वालों ने इस मसले पर ज्यादातर अभिनेताओं का इंटरव्यू लिया है। उनमें तो पांच बिंदास बालाएं हैं।
इनमें से एक अभिनेत्री के बारे में मेरा निजी अनुभव है कि उनका जेनरल नॉलेज अत्यंत उच्च कोटि का है। उन्होंने एक बार महाराष्ट्र की राज़धानी राजस्थान बताया था। मैं हैरान हूं कि आडवाणी, पवार, चंद्रबाबू नायडू, लालू, करुणानिधि, जयललिता, और अगली-पिछली पंक्ति के अंतहीन नेताओं के होते इन मादक मादाओं के साक्षात्कार की क्या महती आवश्यकता आन पड़ी थी। महान पत्रकार संपादक महोदय इस विषय पर मुझ नादान का मार्गदर्शन करें, तो अतीव कृपा होगी।
सादर,
गुस्ताख़
2 comments:
ऐसी विसंगतियों से देश है भरा
गुस्ताख महोदय यह न सोच पाये
सिर्फ सोचने की मुद्रा में तस्वीर
खिंचवाने में बहुत सोचते नज़र आये
मान्यवर, छोटे-छोटे शहरों में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। परेशान न हो। लेकिन एक बात है.....सवाल वाजिब है
Post a Comment