Monday, October 15, 2007

पैगाम

दुर्गा मित्रा युवा लेखिका हैं, अंग्रेजी में कविताएं लिखती हैं। बंगलाभाषी होते हुए भी हिंदी में कविता लिखना हिंदी के लिए अच्छा शगुन है। उनकी ताज़ा कविता को छाप रहा हूं। प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार तो दुर्गा को भी होगा, मुझे भी। और हां, उनकी बेहद कम उम्र के मद्देनज़र कविता की शैली से कम-से-कम मैं बेहद प्रभावित हूं। पढ़ें और बताएं..


खुदा का करिश्मा है ये,
या क़िस्मत की इनायत..
लफ़्जों को सिखाया है बोलना उनका नाम,
जिनकी तस्वीर है इन आंखों में सुबह-शाम,
दिल से करते हैं हम उन्हें सलाम,
और भेज रहे हैं ये पैगाम,
ख़ुदा की खुदी भी क्या चीज़ है.
का नाम लिखा है इस इश्क़ के मयखाने में,
तोड़ बंदिशें याद करते हैं हम,
अफसानों में

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