कुछ और हिंदी-मैथिली गालियों का संग्रह छाप रहा हूं। राजीव को पहले ही भेज चुका हूं। आने वाली नादान गालीविहीन पीढ़ियों के काम आएंगी ताकि दुश्मनों के कान से खून चूने (टपकने ) लगे-
इटेवा- ईंटकुटेव-बुरी आदत
मुंहझौंसा- जो मुंह में आग लगा दिए जाने लायक हो
शरधुआ- जिसका श्राद्ध किया जाए
रोगढुकौना- जिसे रौग बलाएं लगें
निरवंशा- जो निर्वंश मरे
बाढ़िन झट्टा- जिसे बाढ़न यानी झाडू से पीटा जाए
निपूतरा- जिसे बेटा न हो
ढीढ़वाली- नाजायज़ औलाद पेट में रखने वाली
बोंगमरना- अप्राकृतिक यौनाचार करवाने वाला पुरुष
कुछ अन्य शब्द हैं-
सजमइन- लौकी, अरिकोंच-कच्चू,
बूट- चना, छीमी-मटर,
कोंहड़ा- दिल्ली में सीताफल,
ढेपा-पत्थर, भैंसुर-जेठ,
लताम-अमरूद,
खखुआना- चिढ़ना,
भकुआना-तंद्रा में रहना
बुड़बक-बेवकूफ़
चमरछोंछ-कंजूस
लीच्चड़- कंजूस
झिंगड़ी-हरा चना
टाल- ढेर
नार-पुआल
ढेंकी-चावल कूटने का लकड़ी का उपकरण
गोर- पैर
गोर लगना- प्रणाम करना
गांती- ठंड से बचने के लिए गले में भंधा कपड़ा
झपसी-बहुत दिनों तक आकाश में बादल छाए रहना
लाका लकना- बिजली चमकना
घोरन- एक तरह की चींटी
बेंग- मेंढक
जरना या जारइन- जलावन
इनार- कुंआ
इजोत- उजाला
भगजोगनी- जूगनू
फेनूगिलास-जलतरंग के तरह का वाद्य यंत्र
गंगोती- गंगा की मिट्टी
डबरा- छोटा पोखरा
गूंह-पैखाना
हगना- पाखाना करना
छेरना- दस्त की शिकायत होना
तेतर-इमली
1 comment:
tumhara shavdakosh Rajiv ko compliment kar rha hai..aur usse vividh bhi bana rha hai...saadhubaad!
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