Wednesday, January 30, 2008

तारीफ और बिहार

ताज़ा समाचार यह है कि योजना आयोग ने बिहार में हो रहे विकास के कामों की तारीफ की है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिहार सरकार ने १३ हज़ार ८ सौ करोड़ रूपए की मांग की थी। आयोग इसमें से १३००० करोड़ जारी करने पर राजी हो गई है। कामकाज ठीक रहा तो आयोग ५०० करोड़ और भी देने के लिए रजामंद है। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने माना कि कुछ खामियों के बावजूद बिहर में विकास के काम की तारीफ की जानी चाहिए।

इसाक मतलब है कि पिछले कुछ बरस में पहली बार बिहार में कुछ अच्छा हो रहा है। कुछ बंधुओं को लगेगा कि सिर्फ बिजली, पानी और सड़क ही विकास नहीं होता। विकास इससे भी बढ़कर होता है। क्या हो रहा है और क्या और अधिक होना चाहिए? विकास के काम में सरकार किसे पीछे छोड़कर भुलाती जा रही है। मिलनेवाले १३,५०० करोड़ अगले साल बाबुओं के गोदामनुमा पेटों में तो नहीं समा जाएंगे?

बहुत सारी चिंताएं हैं, लेकिन हमारी चिंता यह है कि केंद्र में बैठे लालू मोंटेक की इस बात पर न जाने क्या प्रतिक्रिया देंगे। कहीं समर्थन ही न वापस लें लें। चिर प्रतिद्व्द्वी की इतनी तारीफ? उनके हिसाब तो तारीफ के काबिल तो महज लालू और उनकी रेल है। मैनेजमेंट पढ़ाने का गुर जो आ गया है उन्हें। तो फिर आपकी क्या राय है इस मुददे पर?

1 comment:

अजय रोहिला said...

विकास हुआ है लेकिन लालू जी की प्रतिक्रिया नही आयेगी। क्योकि तारीफ मोंटेक बाबू ने जो की है।