अरे दिल,
दस जनपथ का अंत न पाया, ज्यों आया त्यों जावैगा।।
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या क्या बीता।।
आगे सुरक्षा पाछैं सिपहिया, ट्रैफिक कैसै जावेगा ।
परली पार मेरा मीता खडि़या, उस मिलने का ध्यान न धरिया।।
दालौ महंगी, महंगी तरकारी, गाफिल गोता खावैगा।।
दास गुस्ताख़ कहैं समझाई, महंगाई में तेरा कौन सहाई।।
सब नेता थाली के बैंगन, क्या कॉंग्रेस क्या ही भाजपाई।
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apratim
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