हम बीकानेर से जोधपुर की ओर निकले तो 30 किलोमीटर के बाद हमें मिला एक क़स्बा, देशनोक। ये क़स्बा करणी माता के 6 सौ साल पुराने मंदिर के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस मंदिर में एक खास बात है जिसने इसे दुनिया में अलग जगह खडा कर दिया है। वो है मंदिर में पाये जाने वाले हजारों चूहे।
करणी माता देवी दुर्गा की अवतार मानी जाती हैं लेकिन मंदिर की खासियत है कि यहां हज़ारों चूहे रहते हैं और उनकी पूजा की जाती है। मंदिर में मौजूद हज़ारों चूहे यहां-वहां बेरोकटोक घूमते रहते हैं। प्रसादों पर तो इन्हीं की कृपा होती है।
इस अनोखे मंदिर को देखने की दिलचस्पी देशी लोगों के साथ विदेशियों में भी बराबर ही है।
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस मंदिर में सिर्फ बेहद भाग्यशाली लोग ही सफेद चूहे देख सकते हैं। इस लिहाज से हमारी टीम की किस्मत के तारे बेहद बुलंद रहे कि हममें से हरेक ने सफेद चूहे का दर्शन किया।
चूहे इस मंदिर में सदियों से रहते आ रहे हैं।
करणी माता बीकानेर राज घराने की कुल देवी हैं। कहा जाता है उनके आर्शीवाद से ही बीकानेर की स्थापना राव बीका ने की थी। इन चूहों को मां का सेवक माना जाता है इसलिए इनको कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता।
यहां रहने वाले इन चूहों के काबा कहा जाता है। मां को चढाये जाने वाले प्रसाद को भी पहले चूहे ही खाते है उसके बाद ही उसे बांटा जाता है। मंदिर हर तरफ चूहे चूहे दिखाई देते हैं। यहां पर अगर सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो उसे भाग्यशाली माना जाता है। मुझे भी सफेद चूहे के दर्शन हो ही गये।
खास बात ये भी है कि इतने चुहे होते हुए भी मंदिर परिसर में बदबू का एहसास भी नहीं होता है। इतने चूहे होते हुए भी आज तक कोई भी मंदिर में आकर या प्रसाद खा कर बीमार नहीं पडा है। ये अपने आप में आश्चर्य है। यहां के पुजारी के घर में तो मैने चूहे किसी बच्चे की तरह ही घूमते देखे। उनके घर के कपडों से लेकर खाने के सामान तक सबमें चूहे ही चूहे दिखाई दे रहे थे।
इसके अलावा मंदिर का स्थापत्य भी देखने के लायक है।मंदिर का मौजूदा स्वरूप बीसवीं सदी में अस्तित्व में आया। इस मंदिर की शैली में उत्तरवर्ती मुगल शैली की झलक दिखती है संगमरमर का बेहद खूबसूरत इस्तेमाल मंदिर में किया गया है। मंदिर के जालीदार झरोखों पर किया बारीक कुराई का काम बेहद सुन्दर है। मंदिर के विशाल मुख्य दरवाजे चांदी के बने हैं।
अब मंदिर में चूहों को लेकर जो भी श्रद्धा और विश्वास हो, लेकिन यहां शूटिंग के लिए मंदिर के रखवाले कड़ी रकम वसूल करते हैं और यह खलने वाली बात लगी। बहरहाल, ये उनका एक्सक्लूसिव अधिकार है। मंदिर में आस्था के अलावा जो बात मुझे बहुत अच्छी लगी वह है इंसान और कुदरत का गहरा रिश्ता जो आज की दुनिया से गायब सा होता जा रहा है।
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