इस बार का साहित्य अकादमी पुरस्कार कल प्रदान कर दिया गया। मैथिली में यह सम्मान इस बार प्रदीप बिहारी को मिला है। प्रदीप बिहारी को यह पुरस्कार कृति सरोकार नाम के इनके कहानी कंग्रह के लिए दिया गया है। इस संग्रह मे पिछले दो दशकों में लिखी गई कहानियां हैं। यह काल हमारे देश में तेज़ बदलावों का साक्षी रहा है। इनकी कहानियों में यह साफ तौर पर दीखता है। इस कालखंड की सबसे बड़ी विशेषता है समाज के हर वर्ग में, खासकर पिछड़े वर्ग में प्रतिष्ठा के प्रति प्रबल जागरूकता। यह बात इनकी कहानियों में निखर कर सामने आई है। इन कहानियों के पात्र अपने परिवेश की बोली बोलते हैं, जिससे ये कहानियां अधिक संप्रेषणीय और पठनीय बन सकी हैं। इस कृति को मैथिली और भारतीय कथा साहित्य के लिए एक महत्वपूर्ण अवदान माना जा सकता है।
प्रदीप बिहारी का जन्म १९६३ में मल्लिक टोल, खजौली, मधुबनी बिहार में हुआ। इन्होने नाट्यशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि धारण की है। इन्हे मैथिली के साथ हिंदी,नेपाली और अंग्रेजी पर भी समान अधिकार है। साइंस टीचर के रूप में अपना करिअर शुरु करने के बाद बिहारी बैंकिंग सेवा में आए और स्टेट बैंक के लिए काम कर रह हैं।
इनका पहला उपन्यास गुमकी आ बिहाड़ि १९८३ में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद इनके चार कहानी संग्रह- खंड-खंड जिनगी, मकड़ी, सरोकार आदि प्रकाशित हुए। इनका एक अन्य उपन्यास विसूवियस भी प्रकाशित हो चुका है। बिराीह जी अभिनय में भी रूचि रखते हैं और तकरीबन ५० नाटकों में अभिनय के रंग बिखेरे हैं।
बिहारी जी को बधाई।
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