इस हफ्ते क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए आईपीएल की बोली लगी, भारत जैसे क्रिकेट के जुनूनी देश में 20-20 क्रिकेट की ऐसी ज़ोरदार शुरुआत कोई अप्रत्याशित भी नहीं थी, लेकिन मसला ये है कि क्या क्रिकेट का मैदान ग्लैमर की चकाचौंध से कितना प्रभावित हो गया है..क्या भलेमानसों का खेल क्रिकेट अब महज एक खेल रह गया है या इसके पीछे भी पहले से सक्रिय बाज़ार की ताकतें और अधिक मजबूती से हावी हो गई हैं। जैंटलमैन गेम का अधिग्रहण शोमैन ने कर लिया है।
क्रिकेट और सिनेमा दोनों से ग्लैमर जुड़ा है। सिक्स पैक एब्स के लिए मशहूर शाह रूख से सिक्सर किंग युवराज या फिर छह करो़ड़ में नीलाम हुए माही, कम लोकप्रिय नहीं हैं। पहले भी कभी-कभार सिने-सितारे मैदान में दिख जाते थे और क्रिकेटिया सितारे भी फिल्मो में नमूदार हो जाते थे। गावस्कर, कपिल पाजी और संदीप पाटिल ने भी कम-ज्यादा फिल्मों में अपनी झलक दिखलाई। लेकिन सिनेमावालों को भी समझ में आ गया कि 35 एम एम की फिल्मों से कम रोमांच 22 गज की क्रिकेट की पिच में नहीं है।
शायद यही वजह रही कि फिल्म ओम शांति ओंम की रिलीज से पहले शाह रूख खुद दीपिका को लेकर क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम में मौजूद थे।
क्रिकेट और सिनेमा का गठबंधन और गाढा हुआ जब फिल्म की पब्लिसिटी के लिए दीपिका पादुकोण के अफेयर पहले कप्तान बने महंद्र सिंह धोनी फिर कप्तानी से चूक गए युवराज के साथ जोड़ा गया।
क्रिकेट विश्व कप के दौरान भी कई फिल्मों में इस भुनाने की बेतरह कोशिशें की गई। हैट ट्रिक हो या स्टंप्ड... क्रिकेट को परदे पर उकेरना वाली फिल्ोंमों की फेहरिस्त लंबी होती गई। फिर सिनेमा के बिज़नेस से जुड़े लोगों ने यह भी महसूस किया कि क्रिकेट प्रेमियों की नज़र में बने रहने के लिए क्रिकेट का भी सरपरस्त बना रहना ज़रूरी होगा। शायद इसी वजह से शाहरूख ने कोलकाता और प्रीति जिंटा और नेस वाडिया ने मोहाली की टीम को अपनी सरपरस्ती दी।
दरअसल, 20-20 ने क्रिकेट भूगोल बदल दिया है। आईपीएल के साथ ही क्रिकेट में चल रही कई जंगों में एक और आयाम जुड़ गया है। खिलाड़ियों की बोली और उनका कीमत का मूल्यांकन खेल से नहीं, बल्कि कुछ और तय कर रहा है, और ये नया आयाम है खबरों में बने रहने की खिलाड़ियों की कूव्वत,उनसे जुड़े विवाद, रंगनी मिजाज़ी, ऊर्जा और उनकी आक्रामक देहभाषा। शायद यही वजह है कि कथित नस्लवादी टिप्पणियों पर पैदा हुए विवाद की वजह से चर्चित हुए सायमंड्स माही के बाद सबसे ज़्यादा रकम पाने वाले खिला़ड़ी हो जाते हैं, और उनके साथ ही हरबजन भी करीब साढ़े तीन करोड़ की रकम के हकदार हो जाते हैं।
वहीं अब भी भलेमानुस दीखने वाले क्रिकेटर कुंबले दीपिका को रिझाने वाले धोनी से एक तिहाई रकम ही पा सके। हम इसे विजिविलिटी कह दें या व्यक्तिगत शौमैनशिप .. एक बात तो साफ है क्रिकेट के इस ताजा़ फटाफट संस्करण की नज़र खेल पर कम ग्लैमर पर ज्यादा है। ज़ाहिर है अब क्रिकेट में आइकॉन बैकफुट पर चले जा रहे हैं। आक्रामक युवाओं का दौर आ रहा है, ऐसे युवाओं का जिनके पास प्रतिद्वंद्वी को घूरकर देखने की देहभाषा है।
1 comment:
विश्लेषण आपका सही है.
मुझे ipl मी बहुत ज्यादा कुछ ग़लत भी नज़र नहीं आता हैं.
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