Friday, November 9, 2007

राजनीति का शॉर्टकट

अभी हाल ही में खबर आई कि हमारे सम्माननीय नेता बिहार रत्न सर्व श्री राम विलास पासवान के लाडले फिल्मों का रूख़ करने वाले हैं। अच्छी बात है। जब गुलशन कुमार के भाई किशन कुमार और जीतेंद्र के बेटे (एकता कपूर के भाई) तुषार हीरो बन सकते हैं, तो पासवाननंदन क्यों नहीं। वैसे भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नायक बनने के लिए अभिनय आना ज़रूरी नहीं होता। चाहिए होता है असीमित जुगाड़ और पहाड़ जैसी विकट तकदीर भी। वरना कितने महान कलाकार अभिनेता एडि़यां रगड़ कर रह गए.. नायक क्या सह-नायक बनने की जुगत नहीं लगा पाए।


इसी के बराबर रेलमपनाह( अर्थात् रेल की दुनिया के सर्वेसर्वा श्रीमंत लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र तेजस्वी क्रिकेट में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सुयोग देखिए, हम जैसे आम सड़े-गले अल्लम-गल्लम आदमी भी जानते हैं कि भारत में दूरी के मापक कितने व्यापक प्रभाव रखते हैं। जी नहीं मील के पत्थरों की बात नहीं कर रहा.. बात कर रहा हूं २२ गज और ३५ और ७० मिमी के परदे के सर्वव्यापकता की। साथ ही एक अत्यंत संक्षिप्त लंबाई भी है, जिसका उल्लेख श्लीलता के दायरे में नहीं आएगा। अतएव उसका उल्लेख समीचीन नहीं जान पड़ता।


बहरहाल, २२ गज यानी क्रिकेट का प्रभाव इतना व्यापक है कि माननीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी उसके प्रभाव से अछूते नहीं। हाकी और क्रिकेट की टीमों का बुलाकर उनमें से क्रिकेट को तरज़ीह देना इसे ही तो बताता है। सचिन, धोनी,सहवाग गांगुली वगैरह की लोकप्रियता से लालू जी कितने प्रभावित हैं, कि उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर ही बनाने की ठान ली है। पिता क्रिकेट असोसिएशन में हो , इतना प्रभावशाली हो, तो बेटा ज़िद करके मैन ऑफ द मैच भी बन जाएगा। दिक़्क़त कहां है? फिर ३४-३५ साल का होकर, और लोकप्रिय होकर उसे चुनाव लड़ने में परेशानी आएगी क्या। दूर की कौड़ी लाने वालो, ये है हिडेन अजेंडा... अब पासवाननंदन ने भी ऐसा ही रास्ता चुना है। विकट मार्क्सवादी पत्रकार ने सहसा पूछ लिया कि आगे राजनीति में जाने का इरादा है या नहीं... पिता की राजनीति को समझने और विचारधारा से अनजान पुत्र ने क्षणांश में बताया, मौका मिला तो देश की सेवा करने का मौका मिलेगा तो पीछे नहीं हटूंगा..। क्यों हटेंगे भला, सत्ता की चुसनी चुभलाने का मज़ा कौन खोना चाहेगा। फिल्मी हीरो बनिए, लोकप्रिय हो ही जाएंगे, ग्रेड सी के हीरो भी पॉपुलर हो ही जाते हैं। फिर लडेंगे चुनाव राजेश खन्ना की तरह.. केंद्र में मंत्री बनेंगे। तब आएगा मज़ा।

राजनीति में आने का बुरा ख्वाब देखने वालों, किसी लालू किसी पासवान के बेटे होने का फायदा उठाना सीखो... फिल्म में काम करो, क्रिकेट खेलो फिर राजनीति में आने की सोचो। लोकप्रिय होने का सबसे आसान नुस्खा है ये। आमीन......

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