लो जी लो.. अभी-अभी खबरें फ्लैश हो रही हैं कि दक्षिण में बीजेपी के झंडाबरदार येदुरप्पा सत्ता से बाहर होने ही वाले हैं। बेंपेंदी के लोटों की तरह इधर-उधर लुढ़कते हुए गठबंधनवालों का हश्र यही तो होना था। कुमारस्वामी तय नही कर पाए कि करना क्या है। पहले कहा समर्थन नहीं देंगें, फिर कहा देंगे अब फिर कह रहे हैं नहीं देगें। जनता को कंफ्यूज़ मत करो कन्फ्यूज्ड राजनेताओं .. विचारधारा आपके पास नहीं है। कोई बात नहीं.. बहुतों के पास नहीं है। लेकिन थोड़ा तो सोचों, इस नंगई का जनता पर क्या असर पड़ेगा। लेकिन असर भी घंटा पड़ेगा। जाति, संप्रदाय और उससे भी छोटे-छोटे खांचों में बंटी हुई जनता फिर जाति-उपजाति में बंटकर वोट करेगी। बीजेपी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर वोट मांगेगी। कहेगी देखो.. जेडीएस ने हमको धोखा दिया।
हम पूछते हैं कि आप लगातार धोखा खाते रहे हैं। बसपा ने धोखा दिया, जेडीएस ने धोखा दिया। क्या आप इतने भोले हैं कि सारे लोग आपको ही धोखा देते रहे हैं। क्या आप धोखा खाने की राजनीति करते हैं? राजनाथ टीवी पर गठबंधन की राजनीति की दुहाई देते दिखे। कहते रहे हमें धोखा मिला। गुरु .. तब तो आप सत्ता के लायक ही नहीं। सत्ता में आ गए तो जिलाधिकारी, एमएलए, पार्षद.. केंद्र में आए तो पाकिस्तान और चीन जैसे शातिर पड़ोसी आपको धोखा देते रहेंगे। देश का क्या होगा, भोले-भाले नेताओं? लेकिन आपकी अपनी गलती की ओर ध्यान नहीं गया आपका? बसपा ने और जेडीएस ने आपको धोखा क्यों दिया। आपसे उनके रिश्ते खराब क्यो हो गए, जबकि आप उनके सहयोगी थे। तब की समता पार्टी, जयललिता से भी आपके रिश्ते मधुर रहे हों, ऐसा याद नहीं कुछ। ज़रूर आप ही गठबंधन का कथित धर्म भूलकर उनकी मांद में सेध लगा रहे होंगें।
ये वक्त है कि आप आत्मालोचन करें, धोखा फिर न खाने की तैयारी में जुटे।
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