Wednesday, February 3, 2010

बीच बहस में-आखिर अमिताभ महानालायक क्यों?

क़स्बे पर रवीश ने टीआरपी बटोरु पोस्ट लिख मारी। अमिताभ को महानालायक बता डाला। फौरी तौर पर इसकी वजह एक ही है कि महानायक कहे जाने वाले- और यह उपाधि भी किसी टीवी चैनल वाले ने ही चस्पां किया है उन पर- अमिताभ ने नरेंद्र मोदी की तारीफ कर दी। गुजरात के ब्रांड अंबेसेडर बन गए। इससे पहले वह उत्तर प्रदेश के ब्रांड अंबेसेडर बने हुए थे। यूपी को उत्तम प्रदेश कहने पर भी कुछ बौद्धिकों को एतराज़ था।

एतराज तो लोगों को अमिताभ के कंघी-शीशा-तेल-साबुन बेचने पर भी है। लेकिन आप ज़रा सोचिए कि क्या मुझे तेल-साबुन बेचने के लिए करोड़ों -या चलिए लाखों मिलेंगे- तो हम नहीं बेचेंगे? दरअसल, हम-अर्थात् औसत लोग- जलते हैं। ऐसे लोंगों से, जो कुछ पा जाते हैं। उसके पीछे कितनी मेहनत है, कितना खून-पसीना है, यह नज़रअंदाज़ करते हुए।

हम खुद को महान मानते हुए-और यह मानते हुए कि हम तो दूध के धुले हैं- दूसरों पर राय जाहिर कर देते हैं। रवीश ने अपनी पोस्ट में साफ़ लिखा है-"अमिताभ आज की मीडिया के संकट का प्रतीक है। अपनी विश्वसनीयता का व्यापार करने का प्रतीक। वैसे इनकी विश्वसनीयता तो काफी समय से सवालों के घेरे में हैं।" जनाब, विश्वसनीयता है किसकी, ज़रा खम ठोंक कर कहे तो सही। कोई चैनल, या अखबार या वेबसाईट इस बात को सीना ठोंक कर कह सकता है कि श्रीमान हमारी विश्वसनीयता बेदाग है? अरे, यहां बड़े तो बड़े छोटे भी सुभान अल्लाह.. ब्लॉग वाले भी गूगल एडसेंस के लिए मुंह बाए हुए ललचा रहे हैं। है या नहीं।

तो विश्वसनीयता की बात तो कोई ना ही करे तो बेहतर।

बचे नरेंद्र मोदी, राजनीतिक रुप से घोषित अछूत दल के महाअछूत नेता। भाई ब्लॉगर्स आप तो डिक्टेटर हो गए..। मोदी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के मुखिया हैं.. और गुजरात के सारे वोटर घास तो नहीं ही छीलते होंगे। वैसे ब्लॉग रवीश का है और पोस्ट भी उनने लिखी है तो विचार भी उनके निजी होंगे, इस पर ज्यादा उज्र नहीं किया जा सकता लेकिन इस पोस्ट पर धांसू प्रतिक्रियाएं आईं।

कई लोग आस्तीनें चढ़ा कर मैदान में कूदे भी, लेकिन कई ऐसे लोग भी सामने आए तो पता नहीं क्यों इस पोस्ट के पक्ष में खड़े नज़र आए। अगर अमिताभ का पाला बदलना गलत है तो उनका भी गलत है ना।

मेरे बेहद नज़दीकी मित्र सुशांत झा, इनकी राजनैतिक समझ का मैं सम्मान करता हूं लेकिन कल तक संघी होने और दक्षिणपंथ का परचम लहराने के बाद जब ये सेकुलर होने चले हैं, तो अमिताभ ने प्रतिबद्धता बदल ली तो क्या गलत किया?

सुशांत और अमिताभ एक ही कतार के लोग नहीं हैं। लेकिन अगर सुशांत को पाला बदलने की छूट है तो वह छूट अमिताभ को भी मिलनी चाहिए। और अगर रवीश उदारवादी हैं तो उनके कट्टर उदारवाद का कुछ वैसा ही चेहरा सामने आ रहा है. जैसा मार्क्सवादियों के एरोगेंस और तेवरों में दिखता है।

रवीश से बस इतनी ही शिकायत है कि आप तो बेहद शानदार पत्रकार हैं, और आप का अनुसरण करने वाले कई युवा है टीवी में, आप भी एकपक्षीय और एकांगी आलेख लिखने लग जाएंगे, तो क्या होगा!

पूरी गऊ पट्टी के हिंदी टीवी पत्रकारों ने आपको अपना प्रेरणास्रोत मान रखा है। आपसे संतुलित विचार की उम्मीद रहती है, वैसी ही जैसे कि आप अमिताभ से निजी जिंदगी में भी वैचारिक रुप से किसी अच्छी पार्टी से जुड़ने या प्रतिबद्ध होने की रखते है।

6 comments:

बेनामी said...

Interesting.

डॉ महेश सिन्हा said...

सटीक टिप्पणी

sushant jha said...

baja lo...baja lo....

डॉ .अनुराग said...

जब अमिताभ "यू पी में है दम " ये एड देते थे तब हंसी आती थी .पर समझदार लोग ऐसे भी एक फेयर एंड लवली के गोरे होने वाले एड देखकर सीरियसली नहीं लेते थे .न ही हिन्दुस्तान में कोई आदमी किसी के कहने पर वोट देता ....यहाँ तो अक्सर वोट की जगह पर पहुँचते ही जात -बिरादरी ऊपर आ जाती है .....अमिताभ एक समझदार बिजनेसमेन है ...उम्र के एक मोड़ पर भारी आर्थिक नुकसान के बाद ...अगली पारी में फूंक फूंक के कदम रख रहे है ...शाहरुख़ ने एक बार कहा था वे तो भांड है ...जहाँ पैसा मिलेगा जायेगे ...इसलिए शादी ब्याह पर नाचने गाने भी जाते है .ये उनका बिसनेस है .....मसलन जब राहुल महाज़न अपनी शादी की बात करते है तो हम इसे भी किसी चैनल के बिजनेस का हिस्सा ही मानते है ..अगर आप लोग बिजनेस में नैतिकता की बात करते है तो ये बहस कई मोड़ो पर जा सकती है ....
..रविश जी ने जो कहा उसमे सब से तो सहमत नहीं हूँ पर पूरी तरह असहमत भी नहीं हूँ......सबसे आपत्ति की बात "महानालायक "शब्द के प्रयोग की है .यानी आलोचना में भद्र भाषा का प्रयोग किसी भी संवाद की पहली शर्त होती है .....पर सवाल ये भी है के केवल मोदी से जुड़ना उनकी खामिया याद आना है क्या ?

Udan Tashtari said...

सही विवेचना..

Anonymous said...

apni gathri uthai dar-badar doonhte hai rehguzar jahan ho sake basar.


shanti deep