मैं अपने आप को जब आईने में देखता हूं,
चेहरे पर एक दर्द की गहरी छाया नजर आती है,
हंसता हूं,
तो एक फूल (अंग्रेजीवाला) बन जाता हूं,
पलभर में,
मेरे आगे,मेरे पीछे
मेरी हालत पर, सब लोग हंसते हैं
मुझे मौसम पुराने याद आते हैं,
कहते हैं अगर ये बत्तीसवें दांत जिन्हे न हो,
दुनियावी मामलो में कहे जाते
बच्चे हैं
अगर समझदारी यूं दर्दनाक मंजर होके आती है,
कसम से,
नासमझ अच्छे हैं।
न खाया जाए, भले से
न दर्शन ठंडे-गरम का,
ये सब दर्शन-फलसफास
जीवन में भरम का,
कहीं दांतों से किसी को अक्ल आती है?
अगर दांतों से आती है,
कहूं में आपसे कि--
दाढ अक्ल की नहीं ये,
शैतान की खाला है,
जो अचानक कच्चे ही फूटा है,
मेरे सीने का छाला है।
ये ऐसी टीस है,
हर वक्त तेरे होने का अहसास होता है,
तू जब भी याद आता है,
मेरे दिल कस के रोता है,
तू ईश्वर है या माशूका,
उससे क्या होता है,
अकल की दाढ
उगती है तो
हरेक शख्स रोता है।।
चेहरे पर एक दर्द की गहरी छाया नजर आती है,
हंसता हूं,
तो एक फूल (अंग्रेजीवाला) बन जाता हूं,
पलभर में,
मेरे आगे,मेरे पीछे
मेरी हालत पर, सब लोग हंसते हैं
मुझे मौसम पुराने याद आते हैं,
कहते हैं अगर ये बत्तीसवें दांत जिन्हे न हो,
दुनियावी मामलो में कहे जाते
बच्चे हैं
अगर समझदारी यूं दर्दनाक मंजर होके आती है,
कसम से,
नासमझ अच्छे हैं।
न खाया जाए, भले से
न दर्शन ठंडे-गरम का,
ये सब दर्शन-फलसफास
जीवन में भरम का,
कहीं दांतों से किसी को अक्ल आती है?
अगर दांतों से आती है,
कहूं में आपसे कि--
दाढ अक्ल की नहीं ये,
शैतान की खाला है,
जो अचानक कच्चे ही फूटा है,
मेरे सीने का छाला है।
ये ऐसी टीस है,
हर वक्त तेरे होने का अहसास होता है,
तू जब भी याद आता है,
मेरे दिल कस के रोता है,
तू ईश्वर है या माशूका,
उससे क्या होता है,
अकल की दाढ
उगती है तो
हरेक शख्स रोता है।।