आज की दुनिया में मौजूद सभी मनुष्य होमो सेपियन्स (आत्मश्लाघा से ग्रस्त हम लोगों ने खुद को होमो जीनस से ताल्लुक रखने वाले सेपियन्स यानी बुद्धिमान मान लिया है) हैं. लेकिन इसके अलावा और भी आदिम प्रजातियां रही हैं जो हम जैसी थीं.
25 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में वानरों का प्रारंभिक जीनस ऑस्ट्रालोपीथिकस था. मजबूत कद-काठी के निएंडरथल्स थे. इंडोनेशिया के होमो सोलोऐंसिस थे. इसके अलावा होमो रुडोल्फेंसिस, होमो एर्गास्टर (कामकाजी मनुष्य) और सीधे खड़े होने वाले होमो इरेक्टस थे. अमूमन भ्रांतिवश इन सबको एक ही सीधी वंशावली के पूर्वज मान लिया जाता है, जिससे हम विकसित हुए. (मनु-शतरूपा, आदम-हव्वा, एडम-ईव वाले प्लीज इस पोस्ट को नजरअंदाज करें)
पाठ्यपुस्तकों में अभी तक माना जाता है कि एर्गास्टर ने इरेक्टस को जन्म दिया, इरेक्टस ने निएंडरथल्स को और फिर निएंडरथल्स से हम लोग हुए. यह एकरैखीय मॉडल इस गलत धारणा को जन्म देता है कि किसी खास क्षण में किसी एक ही किस्म के मनुष्य पृथ्वी रहते थे.
तो फिर उनका क्या हुआ? इस बारे में दो परस्पर विरोधी सिद्धांत है या ठीक-ठीक कहें तो अनुमान हैं. पहला है संकरण सिद्धांत (इंटरब्रीडिंग थियरी) जो आकर्षण, सेक्स और दो प्रजातियों के आपस में घुलने-मिलने की कहानी है. जैसे ही अफ्रीका से आए लोग दुनिया में फैले (कैसे, यह अगली किसी पोस्ट में) उन्होंने दूसरी मनुष्य आबादियों के साथ मिलकर प्रजनन किया और आज के लोग इसी संकरण का नतीजा हैं.
इसके उलट, प्रतिस्थापन सिद्धांत (रिप्लेसमेंट थियरी) बिलकुल अलहदा कहानी कहता है--असामंजस्य, विकर्षण और शायद जाति संहार की कहानी. इस अनुमान के मुताबिक, सेपियन्स और दूसरे मानव प्रजातियों की शारीरिक रचनाएं भिन्न थीं, संभावना है कि इनके सहवास के ढंग और शारीरिक गंध भी अलग रही होगी. अगर एक निएंडरथल जूलिएट और सेपिसन्स रोमियो के बीच इश्क़ भी हो जाता तो वे जननक्षम बच्चे पैदा नहीं कर सकते थे. दोनों आबादियां पूरी तरह विलग बनी रहीं और निएंडरथल या तो मार दिए गए या मर गए और उनके जीन भी उन्हीं के साथ मर गए. यानी सेपियन्स ने पिछली तमाम प्रजातियों की जगह ले ली. इस तरह आज के हम सब मनुष्यों का उद्गम पूरी तरह पूर्वी अफ्रीका में आज से 70 हजार साल पहले हुआ.
लेकिन अगर प्रतिस्थापन सिद्धांत सही है तो हम सब जिंदा लोगों का आनुवंशिक वजन एक जैसा है और इसतरह नस्लीय रूप से भेदभाव गलत ठहरता है. लेकिन अगर संकरण सिद्धांत सही है तो अफ्रीकियों, यूरोपियनों और एशियाईयों के बीच हजारों साल पुराने आनुवंशिक भेद हैं. यह राजनैतिक डायनामाइट है, जो विस्फोटक नस्लभेदी सिद्धांतों के लिए पर्याप्त बारूद मुहैया करा सकता है.
25 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में वानरों का प्रारंभिक जीनस ऑस्ट्रालोपीथिकस था. मजबूत कद-काठी के निएंडरथल्स थे. इंडोनेशिया के होमो सोलोऐंसिस थे. इसके अलावा होमो रुडोल्फेंसिस, होमो एर्गास्टर (कामकाजी मनुष्य) और सीधे खड़े होने वाले होमो इरेक्टस थे. अमूमन भ्रांतिवश इन सबको एक ही सीधी वंशावली के पूर्वज मान लिया जाता है, जिससे हम विकसित हुए. (मनु-शतरूपा, आदम-हव्वा, एडम-ईव वाले प्लीज इस पोस्ट को नजरअंदाज करें)
पाठ्यपुस्तकों में अभी तक माना जाता है कि एर्गास्टर ने इरेक्टस को जन्म दिया, इरेक्टस ने निएंडरथल्स को और फिर निएंडरथल्स से हम लोग हुए. यह एकरैखीय मॉडल इस गलत धारणा को जन्म देता है कि किसी खास क्षण में किसी एक ही किस्म के मनुष्य पृथ्वी रहते थे.
तो फिर उनका क्या हुआ? इस बारे में दो परस्पर विरोधी सिद्धांत है या ठीक-ठीक कहें तो अनुमान हैं. पहला है संकरण सिद्धांत (इंटरब्रीडिंग थियरी) जो आकर्षण, सेक्स और दो प्रजातियों के आपस में घुलने-मिलने की कहानी है. जैसे ही अफ्रीका से आए लोग दुनिया में फैले (कैसे, यह अगली किसी पोस्ट में) उन्होंने दूसरी मनुष्य आबादियों के साथ मिलकर प्रजनन किया और आज के लोग इसी संकरण का नतीजा हैं.
इसके उलट, प्रतिस्थापन सिद्धांत (रिप्लेसमेंट थियरी) बिलकुल अलहदा कहानी कहता है--असामंजस्य, विकर्षण और शायद जाति संहार की कहानी. इस अनुमान के मुताबिक, सेपियन्स और दूसरे मानव प्रजातियों की शारीरिक रचनाएं भिन्न थीं, संभावना है कि इनके सहवास के ढंग और शारीरिक गंध भी अलग रही होगी. अगर एक निएंडरथल जूलिएट और सेपिसन्स रोमियो के बीच इश्क़ भी हो जाता तो वे जननक्षम बच्चे पैदा नहीं कर सकते थे. दोनों आबादियां पूरी तरह विलग बनी रहीं और निएंडरथल या तो मार दिए गए या मर गए और उनके जीन भी उन्हीं के साथ मर गए. यानी सेपियन्स ने पिछली तमाम प्रजातियों की जगह ले ली. इस तरह आज के हम सब मनुष्यों का उद्गम पूरी तरह पूर्वी अफ्रीका में आज से 70 हजार साल पहले हुआ.
लेकिन अगर प्रतिस्थापन सिद्धांत सही है तो हम सब जिंदा लोगों का आनुवंशिक वजन एक जैसा है और इसतरह नस्लीय रूप से भेदभाव गलत ठहरता है. लेकिन अगर संकरण सिद्धांत सही है तो अफ्रीकियों, यूरोपियनों और एशियाईयों के बीच हजारों साल पुराने आनुवंशिक भेद हैं. यह राजनैतिक डायनामाइट है, जो विस्फोटक नस्लभेदी सिद्धांतों के लिए पर्याप्त बारूद मुहैया करा सकता है.