मेट्रो मुहब्बतः
कथाकारः कुलदीप मिश्रा
(कुलदीप मिश्रा दैनिक भास्कर में चंडीगढ़ में सह-संपादक हैं। आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके कुलदीप सीएऩईबी टीवी चैनल में भी काम कर चुके हैं)
आशंका, उम्मीद, एक्साइटमेंट। कुछ कॉकटेल सा था दोनों के मन में। फर्स्ट टाइम मिलना बड़ा अजीब होता है। बाइ गॉड। सोचते हुए वो पीतमपुरा मेट्रो पहुंच गई। ये भी शमशेर बहादुर पढ़कर तैयार हुआ। कटवारिया का मुंशी प्रेमचंद पीतमपुरा की लेडी गागा से मिलने वाला था। बीच की कहानी रिकॉर्ड में नहीं है।
वो कुर्ते और चप्पल पर भड़की थी और ये उसके भड़कने पर।
आठ बजे की दिल्ली। सड़कों पर धुंधली रौशनी थी। दिल्ली के ऑफिस वालों के साथ लौट रहे थे दोनों। ख़्यालों के कॉकटेल से लबालब।
2. रोना
कथाकारः विनायक काले
( विनायक काले हैदराबाद विश्वविद्यालय में पढाते हैं, और फेसबुक लघुकथा मंच के सक्रिय सदस्य हैं)
उसने कहा,
“किसी के मृत्यु पर
रोते क्यों नहीं तुम?”
मैंने कहा,
“ब्रेकींग न्यूज़ देखकर उब गया हूँ मैं।”
3. सेल
कथाकारः विनायक काले
उसने कहा,
“सुनामी के समाचारों के बीच आते
साबुन और कंडोम के ऐड के बारे में क्या कहोगे तुम?”
मैंने कहा,
“बाजार में इन्सान खोज रहा हूं मैं"
4. वफादारी
कथाकारः मंजीत ठाकुर
दोपहर को भयंकर गरमी थी। जोरों की लू चल रही थी। मैं एक बाईट के चक्कर में कांग्रेस दफ्तर गया। वहां मीडिया सेंटर वाले कमरे में कुरसी पर बैठे नेता ने जोरों से हवा देते पंखे का रुख अपनी बजाय, सोनिया गांधी की तस्वीर की ओर कर रखा था.
कुलदीप मिश्रा |
(कुलदीप मिश्रा दैनिक भास्कर में चंडीगढ़ में सह-संपादक हैं। आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके कुलदीप सीएऩईबी टीवी चैनल में भी काम कर चुके हैं)
आशंका, उम्मीद, एक्साइटमेंट। कुछ कॉकटेल सा था दोनों के मन में। फर्स्ट टाइम मिलना बड़ा अजीब होता है। बाइ गॉड। सोचते हुए वो पीतमपुरा मेट्रो पहुंच गई। ये भी शमशेर बहादुर पढ़कर तैयार हुआ। कटवारिया का मुंशी प्रेमचंद पीतमपुरा की लेडी गागा से मिलने वाला था। बीच की कहानी रिकॉर्ड में नहीं है।
वो कुर्ते और चप्पल पर भड़की थी और ये उसके भड़कने पर।
आठ बजे की दिल्ली। सड़कों पर धुंधली रौशनी थी। दिल्ली के ऑफिस वालों के साथ लौट रहे थे दोनों। ख़्यालों के कॉकटेल से लबालब।
2. रोना
विनायक काले |
( विनायक काले हैदराबाद विश्वविद्यालय में पढाते हैं, और फेसबुक लघुकथा मंच के सक्रिय सदस्य हैं)
उसने कहा,
“किसी के मृत्यु पर
रोते क्यों नहीं तुम?”
मैंने कहा,
“ब्रेकींग न्यूज़ देखकर उब गया हूँ मैं।”
3. सेल
उसने कहा,
“सुनामी के समाचारों के बीच आते
साबुन और कंडोम के ऐड के बारे में क्या कहोगे तुम?”
मैंने कहा,
“बाजार में इन्सान खोज रहा हूं मैं"
4. वफादारी
कथाकारः मंजीत ठाकुर
दोपहर को भयंकर गरमी थी। जोरों की लू चल रही थी। मैं एक बाईट के चक्कर में कांग्रेस दफ्तर गया। वहां मीडिया सेंटर वाले कमरे में कुरसी पर बैठे नेता ने जोरों से हवा देते पंखे का रुख अपनी बजाय, सोनिया गांधी की तस्वीर की ओर कर रखा था.