फेसबुक कभी-कभी रुला देता है। नीचे जो तस्वीर साझा कर रहा हूं, वह संजय तिवारी जी ने ली है। उसके आगे जो घटना है वह कुमुद सिंह ने साझा की है। यह तस्वीर देखकर आंखें नम हुईं, नोर आ गए, लेकिन कुमुद जी ने जो कहानी साझा की है, उसे पढ़कर खूब रोया हूं। जीभर कर।
मोटे चश्मे को उतारने की भी फुरसत नहीं दी आंसुओ ने, अभी भी धुंधला सा दिख रहा है। खुद पढ़ लीजिए।
बकौल कुमुद सिंहः इस तसवीर को देखकर सचमुच आंखें नोरा गयी..। उन आंखों का हंसना भी क्या जिन आखों में पानी ना हो....।
मोटे चश्मे को उतारने की भी फुरसत नहीं दी आंसुओ ने, अभी भी धुंधला सा दिख रहा है। खुद पढ़ लीजिए।
फोटोः संजय तिवारी |
बकौल कुमुद सिंहः इस तसवीर को देखकर सचमुच आंखें नोरा गयी..। उन आंखों का हंसना भी क्या जिन आखों में पानी ना हो....।
कल की ही बात है भैरव लाल दास जी के घर गयी थी तो उन्होंने ऐसा ही एक प्रसंग सुनाया। सोच रही थी आपसे उसपर बात करू, तभी संजय तिवारी जी की इस तसवीर पर नजर गयी।
बात पटना संग्रहालय परिसर की है। चार दिनों पहले एक परिवार संग्रहालय घूमने आया। इसी दौरान वो लोग परिसर स्थित बिहार रिसर्च सोसायटी भी आये। परिवार का एक बच्चा वहां एक किताब को करीब 10 मिनट तक पलटा रहा, फिर अधिकारी से पूछा कि यह किताब मुझे मिल सकती है, मुझे इस विषय पर एक आलेख लिखना है। पदाधिकारी ने कहा कि यह पुस्तक मिल सकती है, 100 रुपये लगेंगे। बच्चा अपने पिता से 100 रुपये लेने गया और पिता ने रुपये देने से मना कर दिया।
बच्चे की मां ने भी कहा कि 100 रुपये का ही तो सवाल है दे दीजिए..पिता ने कहा कि नहीं दूंगा..करीब 45 मिनट तक बच्चा उस किताब के लिए जिद करता रहा, लेकिन पिता मानने को तैयार नहीं हुए। अंत में बच्चा रोने लगा।
किशोरा अवस्था में एक इतिहास की पुस्तक के लिए छात्र को रोता देख सोसायटी के पदाधिकारी का दिल भी रोने लगा, लेकिन वो खामोश रहे। करीब 50 मिनट बाद बच्चा माता-पिता के पीछे-पीछे परिसर से बाहर जाने लगा।
पदाधिकारी ने संग्रहालय के गेटमैन को फोन से सूचित किया कि इस परिवार को गेट से बाहर न जाने दें और बच्चा को सोसायटी कार्यालय ले आये। गेटमैन से वैसा ही किया। बच्चा जैसे ही कार्यालय पहुंचा पदाधिकारी ने उसे वो पुस्तक देते हुए कहा कि लो पूरा पढकर जो लिखना वो मुझे दिखाना..यह पुस्तक तुम्हारे जैसे ज्ञान के प्यासे के लिए ही छपी है..तुम से कोई पैसा नहीं लेंगे। बच्चे पुस्तक को लेकर उछल पडा और उसके चेहरे पर जो खुशी थी उसे देखकर पदाधिकारी की आंख भर आयी...।
हमारा देश सचमुच अभागा है जो छोटी-छोटी खुशियां भी देखने को तैयार नहीं है।
3 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " खूंटा तो यहीं गडेगा - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
सराहनीय लेख है ।
Seetamni. blogspot. in
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