भारत में एक छूट है॥ आप निरक्षर हैं तो शिक्षा मंत्री बन सकते हैं, और चाहें तिकने भी कमजोर और नरम क्यों न हों गृहमंत्री भी बन सकते हैं। अब एक मान्यता इस पद को लेकर ये है कि इस पद पर आसीन व्यक्ति लौह पुरुष टाइप होना चाहिए और इससे पहले यात्रा पुरुष लालकृष्ण आडवाणी भी लौह पुरुषनुमा भंगिमा धारण किए रहते थे। लौहपुरुष तो ये दोनों क्या खाक होंगे हां, जंग उनकी राजनीति में ज़रुर लग गई।
अब १३ सितंबर के दिल्ली धमाकों के बाद मीडिया की नज़र कमजोर गृहमंत्री की रिपोर्ट कार्ड पर पड़ ही गई। आखिरकार कब तक मीडिया भी दुनिया के तबाह होने की और बाघों के प्रेम कथा को खींच पाता। कपड़े बदलने के लिए मशहूर नफासतपसंद होम मिनिस्टर पर भी उनकी नज़र पड़ ही गई। स्टार और आजतक ने गृह मंत्री की बखिया उधेड़कर रख दी। सिर्फ एनडीटीवी ही उनके बचाव के प्रोपैगेंडा के तहत यूपीए और एनडीए के गृहमंत्रियों की तुलना करता नजर आया।
धमाकों के ठीक बाद तीन बार कपड़े बदल-बदलकर कैमरे के सामने दिखने की इच्छा शिवराज पाटिल की उघड़ गई। मामला बेनकाब होने वाला हो गया। हर धमाके के बाद अपना घिसा-पिटा बयान वे देते नज़र आए। अरे , थोडा़ जानदार बयान दे देते। अब गृह मंत्रालय के लिए बड़े दिनो से मचान पर लटके शिकारी की तरह इंतजार में खड़े लालू ने तुरंत हमाला बोल दिया। लेकिन लालू जी, अब आखिर के ५-६ महीने में गृह मंत्रालय लेकर क्या ज़ायका बिगाडिएगा? जाइतो गंवइलऊं, स्वादों नईं पईलहुं वाला मामला न हो जाए।
हे जनता जनार्दन, आंखे खोलों ये शिवराज तो महज एक नेता है॥ सभी नेता ऐसे ही हैं..। कपड़े बदलने में माहिर। कोई बंद गले का कोट बदलता है कोई कलफ लगा हुआ कुरता। अपने वोट बैंक के लिए ये कुछ भी करते हैं..लेकिन आगे से ऐसे नेता चुनाव न जीत कर आएं, यह आपको सुनिश्चित करना होगा।
4 comments:
@लेकिन आगे से ऐसे नेता चुनाव न जीत कर आएं, यह आपको सुनिश्चित करना होगा।
भइया, जनता ने तो सुरक्षित कर ही लिया था और पाटिल को चुनाव में हरा भी दिया था, पर सोनिया और मनमोहन ने जनता को धता बता कर पाटिल को ग्रह मंत्री बना दिया. जनता को इन नेताओं को सजा देनी चाहिए और इस चुनाव में सोनिया और मनमोहन को धता बतानी चाहिए.
Inko hara dete jo dusre jeette woh kaunsa hamari suraksha kar lete?... aakir hai to yeh sab NETA hi na
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I don’t want to love you… but I do....
किसको चुनें-सभी तो एक से हैं.
दिल्ली में धमाके क्या हुए लोगो ने गृहमंत्री के कपड़े बदलने पर सवाल उठाने लगे । अपने देश की अलग ही गरिमा है जहां गृहमंत्री को प्रधानमंत्री से कम नही आंका जाता है । यूं कहे कहीं-कही तो गृहमंत्री ने अपनी हैसियत चढ़ा-बढा कर दिखाने की कोशिश की है । यह सिलसिला जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री होने के समय से शुरू होता है जब पटेल ने खुद को लौह पुरूष साबित करने की कोशिश की । लोगो के दिल से अक्सर यह सुना जाता है कि पटेल को प्रधानमंत्री होना चाहिए था ..। बहरहाल हम यहां थोड़ा भटक गए है ...हम ये कहना चाह रहे थे कि लाल कृष्ण आडवाणी ने भी यही दिखाने का प्रयास किया ...जो भी हो हम शिवराज पाटिल के पास पहुंचते है ....हमारा देश आतंकियो के निशाने पर है । जिस शहर का नाम जेहन मे आता है धमाके वहां हो चुके होते है । हाथ पर नाम गिनने से कोई एसा शहर का नाम नही आता है जहां धमाके नही हुए हो ...खासकर अगर आप किसी महानगर में रहते है तो अपनी बारी के लिए तैयार रहिए...तो मैं कह रहा था गृहमंत्री के बारे में ..दिल्ली में बम धमाके हो रहे थे गृहमंत्री ने तीनो जगह का मुआयना किया जहां धमाके हुए ।तीनो जगह पाटिल साहब अलग-अलग सूट में गए..सूट कहने का मतलब लड़की का मत समझिएगा ..मसलन अपने यहा तो संजने-संबरने का काम ज्यादातर लड़किया ही करती है लेकिन गृहमंत्री ने ऐसा किया कारण था कि उन्हे अलग-अलग जगह पर कैमरो के सामने जाना था तो वे अपना सूट बदलते गए...।लेकिन इसी कैमरे वालो की बुड़ी नजर उनपर पड़ी और उसने मानो साहब को नंगा ही कर दिया । खैर साहब को इज्जत भी मिली ..बेइज्जती भी मिली ..। हमारे गृहमंत्री को इतना चिंता कहां है कि देश की सुरक्षा का जिम्मा अपने उपर ले ...उनको पता नही है कि देश की स्थितति क्या है । बेचारे वोट से चुनाब जीतकर नही आए है और न ही आगे चुनाव जीतने की चिंता है फिर जनता को क्या हो रहा है जनता किस हालात का सामना कर रही है उनको क्या मालूम । कांग्रेस की सरकार बनेगी तो बेचारे फिर मंत्री बन जाएंगे । फिर कपड़े की बात ..शौकीन है ...नए पुराने लोगो का सामना करना पड़ता है ..कपड़े हैं बदलना पड़ता है ।
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