Saturday, December 13, 2025

भूतों की अभूतपूर्व कथा- भाग एक

 


भूतों के बारे में आपने सुना तो होगा ही. लेकिन कुछ दिलचस्प बातें मैंने इकट्ठी की है. हॉरर स्टोरी नहीं सुना रहा, सिर्फ परंपराएं इकट्ठी कर रहा हूं. मसलन, भूतों की परिभाषा क्या है? भूत कौन होते हैं?

असल में, भूत एक आम शब्द है जिसमें कई तरह की बुरी आत्माएँ शामिल हैं जिन्हें अलग-अलग करके समझने की कोशिश करेंगे. हालाँकि, पहले आम तौर पर भूतों में पाए जाने वाले कुछ आम लक्षणों के बारे में बात करना अधिक दिलचस्प होगा.

परिभाषा के मुताबिक, "प्रॉपर भूत ऐसी आत्मा है जो हिंसक तरीके से मरे हुए लोगों की होती है. चाहे वह मौत दुर्घटना से हो, आत्महत्या से हो या मौत की सज़ा पाए लोगों से।"

ऐसी आत्माएं भी भूतों की श्रेणी में आती हैं अगर मौत के बाद उसका ठीक से अंतिम संस्कार न किया गया हो.
बहरहाल, बहुत सारी ऐसी आत्माओं का (भय से) कई इलाकों में पूजा-पाठ भी किया जाता है. कई स्थान पर उन्हें मनुख देवा का दर्जा मिला है. बाघ का शिकार हुए लोगों का अस्थान बघौत कहा जाता है. बिजली गिरने से मरे लोगों का अस्थान 'बिजलिया बीर' के नाम से प्रसिद्ध है. ताड़ के पेड़ से गिरे इंसान का अस्थान 'ताड़ बीर' के नाम से और सांप काटने से मरे व्यक्ति का अस्थान नगैया बीर के नाम से जाना जाता रहा है.

जनरल कनिंघम ने (मैं एक किताब के अनुवाद के सिलसिले में उनके विवरणों को देख रहा था), हाथी के महावत के अस्थान (श्राइन) का जिक्र किया है, जो पेड़ से गिरकर मर गया था, उसी तरह, एक ब्राह्मण की मौत गाय के ढूंसने से हो गई थी, उसका भी अस्थान बनाया गया था, एक कश्मीरी महिला, जिसका एक पैर था और जिसकी मृत्यु दिल्ली से अवध जाते समय थकान से हो गई थी, उसके भी अस्थान का जिक्र कनिघम ने किया है.

भूतों के कई प्रकार हैं. चुड़ैल, किच्चिन, बैताल, प्रेत, जिन्न, ... इनके बारे में आपकी क्या राय और क्या जानकारी है और क्या आपका कोई अनुभव रहा है? भूतों के प्रकार या उनसे जुड़े किस्से हो तो वह भी साझा करें.


(नोटः पोस्ट के साथ चस्पां भूत की तस्वीर एआइ जनरेटेड है. भूत का फोटो आजतक ले नहीं पाया हूं, अतएव तस्वीर को प्रतीकात्मक ही समझें.)








Thursday, December 11, 2025

15 करोड़ की किताब, साहित्य है या पब्लिसिटी का मजाक!

मैं रत्नेश्वर जी से बहुत बार नहीं मिला हूं। इस बार सुना कि उन्होंने 15 करोड़ की किताब लिख डाली। उनके लिए यह कोई नई बात नहीं। पिछली बार रत्नेश्वर जी ने, जब हमारी मुलाकात हुई थी, तब तीन करोड़ रुपए एडवांस में लिए थे, ऐसा उन्होंने बताया था। अगर यह कदम महज खबर बनाने के लिए थी तो खबर बन गई। पर अब आगे की बात। 

कुछ महीने पहले शैलेश भारतवासी जी ने आदरणीय विनोद कुमार शुक्ल को तीस लाख रुपए का रायल्टी का चेक सौंपा था। चेक प्रदान करते हुए तस्वीरें थी। तीस लाख भी हिंदी साहित्यकार के लिए लगभग मूं बा देने की स्थिति थी। रत्नेश्वर जी भी स्पष्ट कर दें कि पंद्रह करोड़ का क्या मसला है? प्रकाशक ने दिए? आपने प्रकाशन के लिए दिए? इतने रकम की बिक्री? मतलब थोड़ा स्पष्ट कर देते तो हम ज्वलनशील लोगों के कलेजे को ठंडक पड़ती।

लोकसभा 2025- जब संसद में राहुल गांधी की बात पर अमित शाह को आया तेज गुस्सा