Tuesday, November 11, 2008

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे

ऑस्ट्रेलिया को सीरीज़ में हराकर भारत ने उसका दंभ तोड़ा, लेकिन रहना होगा सचेत

साल अंपायरों के ग़लत फैसलों और ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की चालाकी की वजह से जो काम अधूरा रह गया था, वह अब पूरा हो गया है। कंगारुओं के दंभ को चकनाचूर करने के वास्ते पहला वार कुबले ने कर दिया था, धोनी ने उसे अंजाम तक पहुंचाया। धोनी ने जीत के साथ टेस्ट मैचों में बतौर कप्तान अपनी जीत की हैट-ट्रिक पूरी की। साथ ही अनुभवहीन टीम के साथ भारत को उसकी मांद में खदेड़ने का रिकी पॉन्टिंग का सपना चकनाचूर हो गया।

इस मैच में, नागपुर में, ऑस्टेलियाई दो सत्र भी खेल नहीं पाए। भारतीय मैदानों पर ३८२ रन की बनाकर जीतने की सपना देखने वाले पॉन्टिंग को सोचना चाहिए ता कि इससे पहले ऐसा कारनामा महज एक बार ही हुआ है, और वो ऑस्ट्रेलिया ने नहीं वेस्ट इंडीज़ ने किया है। भारतीय मैदान पर चौथी पारी में २७६ रन बनाकर जीत दर्ज करने का। गुमान में चूर कंगारू पांच रन के हिसाब से रन ठोंकते रहे इस भरोसे के साथ की इस रेट से वो जीत हासिल कर लेगे। लेकिन पंटर को सोचना चाहिए था कि टेस्ट मैच में यह रन रेट ज्यादा देर चलता नहीं। विकेट गिरते जाएं तो भी अप मारते जाएं तो वही होता है, जो ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ।

ऑस्ट्रेलिया के मन की हालत तो देखिए, इन्होंने अपने रेगलर गेंदबाजो़ की जगह हसी, वाइट औक क्लार्क को लगाए रखा। ओवर रेट पूरा करने के वास्ते। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की टीम कायदो से कब से खेलने लगी। पॉन्टिंग को जवाब देना होगा। वैसे, जैसॉन क्रेजा ने १२ विकेट तो ले लिए, लेकिन इससे पहले सहवाग तेंदुलकर और धोनी ने उसे कूटकर भूस भर दिया था।

हम तो पॉन्टिग से उद्दंडता, आक्रामकता और गुस्सेवर तेवर की उममीद कर रहे थे, लेकिन भाई यह तो रक्षात्मक मुद्रा अपना रहे हैं। तो लगता है ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया।

4 comments:

अनुपम अग्रवाल said...

आप ने शुरू में ही एक बहुत अच्छी बात कही कि रहना होगा सचेत
वरना थोड़े दिन तक तो अच्छा अच्छा चलेगा फ़िर हम होंगे अचेत

Udan Tashtari said...

टीम इंडिया को बधाई मगर सचेत तो रहना ही होगा.

डॉ .अनुराग said...

देख लो कही क्लार्क की आत्मकथा भी न बाहर आ जाये !

राज भाटिय़ा said...

एक अच्छि जानकारी के लिये ओर सचेत करने के लिये धन्यवाद