विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। एक्जिट पोल वालों ने तकरीबन सब बता दिया था। तमिलनाडु में किसी को पता नहीं था कि अम्मां दोबारा आएंगी। किसी को इल्म भी नहीं था कि पोएस गार्डन में लगातार दो नतीजों के बाद आतिशबाजी होगी।
ममता बनर्जी, सर्वानंद सोनोवाल, वी एस अच्युतानंदन, सबके बारे में एक्जिट पोल वालों ने सही बता दिया। अम्मां के बारे में चूक गए।
नतीजों पर जश्न मनाने के कुछेक दिन और रहेंगे लेकिन बात उस चुनौती की होगी, जो इस बड़ी जीत के साथ आई है।
ममता बनर्जी दोबारा सत्ता में ऐसे धमाकेदार वापसी करने वाली शायद पहली महिला मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनके लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी। चुनौती उन सर्वानंद सोनोवाल के लिए भी कम नहीं होगी, जो जीत तो गए हैं लेकिन उनके साथी हेमंत विस्व सरमा भी होंगे। भाजपी को असम में जिताने में विभिन्न कारकों के साथ हेमंत विस्व सरमा का बड़ा योगदान रहा है जो शायद तरूण गोगोई द्वारा गौरव गोगोई को आगे बढ़ाने वाले खानदानी राजनीति के खिलाफ कांग्रेस से निकले।
ममता बनर्जी ने चार दशक पहले सिद्धार्थ शंकर रे की अगुआई वाले कांग्रेस का रेकॉर्ड तोड़ा है। ममता ने अब पूरे बंगाल को जोड़ा फूल के रंग से रंग दिया है। लेकिन अब उन्हें चुनौतियों का भी सामना करना होगा। ममता बनर्जी अपने पहले कार्यकाल में सिंगूर का मुद्दा सुलझा पाने में नाकाम रही थीं। बंगाल में ठप होते उद्योग धंधे, कम होती नौकरियों का सवाल है और नारदा और सारदा ने भले ही उस चुनाव में कोई असर वोटरों के मनो-मस्तिष्क पर नहीं डाला हो। लेकिन, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना उनकी चुनौती होगी।
ममता बनर्जी को यह सुनिश्चित करना होगा कि जंगल महल में जो शांति उनके कार्यकाल में आई है, वह शांति न सिर्फ बरकरार रहे बल्कि उस इलाके में विकास की नई बयार बहे।
सुदूर दक्षिण में, केरल की लड़ाई में 93 साल के बुजुर्ग वी एस अच्युतानंदन ने इस बार कस कर खम ठोंका था और पी विजयन के साथ उनके पुराने विवाद शायद चुनावो से ऐन पहले थोड़ी देर के लिए भुला दिए गए थे। केरल में यूं भी वैकल्पिक यूडीएफ और एलडीएफ की सरकार बना करती है। वह ट्रेंड इस दफा भी बरकरार रहा और एलडीएफ की सरकार बनी।
लेकिन केरल में ही एक और नई बात हुई। वह थी बीजेपी को एक सीट मिलना। बीजेपी को बीडीजेएस नाम की एक संस्था का समर्थन हासिल था, जिसके अनुयायी है इझावा समुदाय के लोग। केरल मे इनकी आबादी तकरीबन 28 फीसद है। इनके समर्थन ने केरल में बीजेपी का खाता खुलने में मदद की। इसके दूरगामी परिणाम होंगे यह लिख लिया जाए, ताकि सनद रहे।
तमिलनाडु में अम्मां की जीत एक नया इतिहास लिखने के लिए मजबूर करती है। अम्मां के राजनीतिक गुरू रहे हैं एम जी रामचंद्रन। एमजीआर ने 1977 से लेकर 1984 तक लगातार तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था। उसके बाद से कबी तमिलनाडु में कोई सत्तासीन पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं आई।
करूणानिधि भी 93 साल के हो चुके हैं और मुमकिन है, और वह कह भी चुके हैं, कि यह उनका आखिरी चुनाव है। उनके उत्तराधिकारी एम के स्टालिन ने राहुल गांधी की तर्ज पर चुनाव प्रचार किया था। जींस टीशर्ट पहनी, दलितों के घर रात को रूके, खाना खाया। लेकिन कुछ काम न आया।
असम को छोड़कर केरल, बंगाल या तमिलनाडु, कहीं भी बीजेपी के लिए खोने लायक कुछ नहीं था। बिहार की हार के बाद जो पार्टी हतोत्साहित दिख रही थी वह बंगाल में तीन सीट केरल में एक सीट और असम की पूरी सत्ता पाकर फूली नहीं समा रही होगी।
कांग्रेस ने भले ही बंगाल में अपने सहयोगी से अधिक सीटे हासिल कर लीं हैं, लेकिन उसके पास 29 राज्यों में से महज 6 राज्यों की सत्ता रह गई है। इनमें भी बड़े राज्य के नाम पर सिर्फ कर्नाटक है।
शायद इसलिए नतीजे के दिन बीजेपी नेता कांग्रेसमुक्त भारत का जुमला उछालते हुए फूले नहीं समा रहे थे। लेकिन दिलचस्प होगा यह देखना कि इन चुनावों का उत्तर प्रदेश के चुनावी परिदृश्य पर क्या असर होगा। क्या मायावती रणनीति बदलेंगी? क्या मायावती कांग्रेस का दामन थामेंगी? बिहार की हार के बाद असम की जीत ने बीजेपी में फिर से दम भर दिया है। जाहिर है, यूपी के चुनाव पहले से और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाले हैं।
ममता बनर्जी, सर्वानंद सोनोवाल, वी एस अच्युतानंदन, सबके बारे में एक्जिट पोल वालों ने सही बता दिया। अम्मां के बारे में चूक गए।
नतीजों पर जश्न मनाने के कुछेक दिन और रहेंगे लेकिन बात उस चुनौती की होगी, जो इस बड़ी जीत के साथ आई है।
ममता बनर्जी दोबारा सत्ता में ऐसे धमाकेदार वापसी करने वाली शायद पहली महिला मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनके लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी। चुनौती उन सर्वानंद सोनोवाल के लिए भी कम नहीं होगी, जो जीत तो गए हैं लेकिन उनके साथी हेमंत विस्व सरमा भी होंगे। भाजपी को असम में जिताने में विभिन्न कारकों के साथ हेमंत विस्व सरमा का बड़ा योगदान रहा है जो शायद तरूण गोगोई द्वारा गौरव गोगोई को आगे बढ़ाने वाले खानदानी राजनीति के खिलाफ कांग्रेस से निकले।
ममता बनर्जी ने चार दशक पहले सिद्धार्थ शंकर रे की अगुआई वाले कांग्रेस का रेकॉर्ड तोड़ा है। ममता ने अब पूरे बंगाल को जोड़ा फूल के रंग से रंग दिया है। लेकिन अब उन्हें चुनौतियों का भी सामना करना होगा। ममता बनर्जी अपने पहले कार्यकाल में सिंगूर का मुद्दा सुलझा पाने में नाकाम रही थीं। बंगाल में ठप होते उद्योग धंधे, कम होती नौकरियों का सवाल है और नारदा और सारदा ने भले ही उस चुनाव में कोई असर वोटरों के मनो-मस्तिष्क पर नहीं डाला हो। लेकिन, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना उनकी चुनौती होगी।
ममता बनर्जी को यह सुनिश्चित करना होगा कि जंगल महल में जो शांति उनके कार्यकाल में आई है, वह शांति न सिर्फ बरकरार रहे बल्कि उस इलाके में विकास की नई बयार बहे।
सुदूर दक्षिण में, केरल की लड़ाई में 93 साल के बुजुर्ग वी एस अच्युतानंदन ने इस बार कस कर खम ठोंका था और पी विजयन के साथ उनके पुराने विवाद शायद चुनावो से ऐन पहले थोड़ी देर के लिए भुला दिए गए थे। केरल में यूं भी वैकल्पिक यूडीएफ और एलडीएफ की सरकार बना करती है। वह ट्रेंड इस दफा भी बरकरार रहा और एलडीएफ की सरकार बनी।
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तमिलनाडु में अम्मां की जीत एक नया इतिहास लिखने के लिए मजबूर करती है। अम्मां के राजनीतिक गुरू रहे हैं एम जी रामचंद्रन। एमजीआर ने 1977 से लेकर 1984 तक लगातार तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था। उसके बाद से कबी तमिलनाडु में कोई सत्तासीन पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं आई।
करूणानिधि भी 93 साल के हो चुके हैं और मुमकिन है, और वह कह भी चुके हैं, कि यह उनका आखिरी चुनाव है। उनके उत्तराधिकारी एम के स्टालिन ने राहुल गांधी की तर्ज पर चुनाव प्रचार किया था। जींस टीशर्ट पहनी, दलितों के घर रात को रूके, खाना खाया। लेकिन कुछ काम न आया।
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शायद इसलिए नतीजे के दिन बीजेपी नेता कांग्रेसमुक्त भारत का जुमला उछालते हुए फूले नहीं समा रहे थे। लेकिन दिलचस्प होगा यह देखना कि इन चुनावों का उत्तर प्रदेश के चुनावी परिदृश्य पर क्या असर होगा। क्या मायावती रणनीति बदलेंगी? क्या मायावती कांग्रेस का दामन थामेंगी? बिहार की हार के बाद असम की जीत ने बीजेपी में फिर से दम भर दिया है। जाहिर है, यूपी के चुनाव पहले से और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाले हैं।
मंजीत ठाकुर
2 comments:
अब RS 50,000/महीना कमायें
Work on FB & WhatsApp only ⏰ Work only 30 Minutes in a day
आइये Digital India से जुड़िये..... और घर बैठे लाखों कमाये....... और दूसरे को भी कमाने का मौका दीजिए... कोई इनवेस्टमेन्ट नहीं है...... आईये बेरोजगारी को भारत से उखाड़ फैंकने मे हमारी मदद कीजिये.... 🏻 🏻 बस आप इस whatsApp no 8017025376 पर " INFO " लिख कर send की karo or
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