परिसीमन के चलते उत्तर प्रदेश में राजनैतिक घमासान पिछले चुनावों की बनिस्बत इस बार कहीं ज्यादा तेज रहने वाला है। 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में परिसीमन के बाद सात संसदीय क्षेत्र बलरामपुर, बिलहौर, खुर्जा, शाहाबाद, चायल, जलेसर और पडरौना खत्म हो गए हैं। इनकी जगह धौरहरा,अकबरपुर, कुशीनगर,कौशांबी, फतेहपुर सीकरी, गौतमबुद्धनगर और श्रावस्ती अब नए संसदीय क्षेत्र हैं।
परिसीमन का असर आरॿित सीटों की संख्या पर भी बड़ा है। पिछले चुनाव में आरॿित रहीी अंबेडकरनगर, बिजनौर, फिरोजाबाद और बस्ती नए परिसीमन के बाद सामान्य सीटें बन चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में अब कुल 17 आरक्षित संसदीय क्षेत्र हो गए हैं। जिनमें पिछले चुनाव में सामान्य सीटों में शामिल रही बुलंदशहर, इटावा, आगरा, मछलीशहर, शाहजहांपुर और बहराइच संसदीय क्षेत्र हैं। इस वजह से अपने-अपने क्षेत्र के धुरंधरों को अब नई जगहों का रुख करना पड़ रहा है।
भाजपा के दिग्गज रहे और अब निर्दलीय हो चुके बुलंदशहर के सांसद कल्याण सिंह एटा से चुनाव मैदान में उतरेंगे। वहीं राज बब्बर अब आगरा के बजाए फतेहपुर सीकरी से और खुर्जा से सांसद रहे अशोक प्रधान बुलंदशहर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसी तरह शाहजहांपुर के आरक्षित हो जाने के बाद जितिन प्रसाद धौरहरा की ओर रुख कर रहे हैं।नए परिसीमन से कई संसदीय क्षेत्रों में मतदान के समीकरण बदले नजर आ रहे हैं और इन बदले समीकरणों में उम्मीदवारों को अपनी जीत तय करने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है।
विकास सारथी
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