मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
मैं रहूं या ना रहूं,
मेरा पता रह जाएगा,
शाख पर यदि एक भी पत्ता हरा रह जाएगा,
मैं भी दरिया हूं मगर सागर मेरी मंज़िल नहीं,
मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जाएगा?
आपकी कविताओं में आसमान सी उचाई तथा झील सी गहराई है। अखिलेश शुक्लhttp://katha-chakra.blogspot.com
मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जाएगा?bhut acchi line gargi feelings4ever.blogspot.com
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आपकी कविताओं में आसमान सी उचाई तथा झील सी गहराई है।
अखिलेश शुक्ल
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मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जाएगा?
bhut acchi line
gargi feelings4ever.blogspot.com
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