अरुणाचल में सूरज भारत में सबसे पहले उगता है..लेकिन ऊँची-नीची घाटियों में छाया धुंधलका अप्रतिम है.
जब हम जंगल में शूट करने पहुचे थे, तो हवा में व्याप्त थी वनस्पतियों की हरी गंध और चिड़ियों की चहचाहाहट... मीठा संगीत.. सन्नाटा था भी और नहीं भी, हम अकेले थे भी और नहीं भी .........
अरुणाचल में संतरों की खेती शुरू हुई है.. लेकिन तेजू (अरुणाचल का एक छोटा लेकिन खूबसूरत शहर ) के विकास पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा है. तेजू में अभी भी सिर्फ २ चौक और २ ही होटल हैं.
4 comments:
super nice !
तस्वीरें बेहतरीन है लेकिन आपकी कमेंट्री उसकी मौलिकता को बोर कर रही है ।
कैसे है सर ?
आपके लिए कुछ भेज रहा हूँ सायद पसंद आये
शाम को दफ्तर से लौटा थका हारा
अपने लिए एक चाय बनाई
मीठी कुछ कम थी पर अपनी बनाई थी तो ठीक लगी
कुछ याद आया .........
कुछ भूला हुआ सा
अपनी जेबों को टटोला
कमीज़ की हर जेब को देखा
कमरे की हर चीज़ को उलट पुलट कर देखा
कथरी, बर्तन, किताब का एक एक पन्ना, खाली डिब्बे
सब कुछ देखा कुछ भी नहीं छोड़ा
पर अफ़सोस की नहीं मिला जिसको खोजा था बहुत
गम में रात का खाना भी नहीं बनाया
और न ही खाया.............
बिस्तर पर गया तो चादर को एक बार और पलट कर देखा
पर अफ़सोस फिर भी नहीं मिली ....
पुरानी डायरी के हर पन्ने को पलट कर देखा
पर अफ़सोस .....................
थका हारा बिस्तर पर सो गया
पर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ
अचानक ही वोह मिल गयी
जिसके लिए कब से था बेताब
यही तो थी मेरी खोयी हुई
"भोर"
शांति दीप
shantee humako laga aap apni mehbooba ko khoj rahe hai itti baichainee se. achi kavita hai.. toda tight kriye na..
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