Sunday, August 15, 2010

बैठे-ठाली छंदब्द्ध गुस्ताखी

जय भोले महादेव-शिव-शंकर
मार दो अब दुश्मन को कंकर,

आज अखाडे मे भगवान,
घुमा दो तेजों में निज लंगर,

सामने दुश्मन आने ना पावे,
आ जाए तो जाने ना पावे.

मन के लड्डू फोड़-फोड़ के,
खाना चाहे तो खाने ना पावे,


उसे फंसा दो ऐसे जाल में,
घूमता फिरे फटे हाल में,


एक लंगड़ी ऐसी मारो,
बारहों महीना पिटे साल में

मारो ऐसा मिले ना पानी,
याद करा दो उसको नानी,

3 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये तेवर किस पर हैं ?

ASHOK BAJAJ said...

स्वतंत्रता दिवस की बधाई

Udan Tashtari said...

:) बहुत सही!!

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

सादर

समीर लाल